Section 303 of BNS in Hindi: चोरी

चोरीBharatiya Nyaya Sanhita 2023
303. (1) जो कोई, किसी व्यक्ति कब्जे में से, उस व्यक्ति की सम्मति के बिना कोई चल सम्पति बेईमानी से ले लेने का आशय रखते हुए वह सम्पति ऐसे लेने के लिए हटाता है, यह घोरी करता है. यह कहा जाता है।
स्पष्टीकरण 1 जब तक कोई वस्तु भूबद्ध रहती है. चल सम्पति न होने से चोरी का विषय नहीं होती; किन्तु ज्यों ही वह भूमि से पृथक की जाती है वह चोरी का विषय होने योग्य हो जाती है
स्पष्टीकरण 2 हटाना, जो उसी कार्य दद्वारा किया गया है जिससे पृथक्करण किया गया है. चोरी हो सकेगा।
स्पष्टीकरण 3 कोई व्यक्ति किसी चीज का हटाना कारित करता है, यह कहा जाता है जब वह उस बाधा को हटाता है जो उस पीज को हटाने से रोके हुए हो या जब वह उस चीज को किसी दूसरी चौज से पृथक् करता है तथा जब वह वास्तव में उसे हटाता है।
स्पष्टीकरण 4 वह व्यक्ति जो किसी साधन द्वारा किसी जीव-जन्तु का हटाना कारित करता है, उस जीव-जन्तु को हटाता है. यह कहा जाता है और यह कहा जाता है कि वह ऐसी प्रत्येक चीज को हटाता है जो इस प्रकार उत्पन्न की गई गति के परिणामस्वरूप उस जीव-जन्तु द्वारा हटाई जाती है।
स्पष्टीकरण 5 इस धारा में वर्णित संपति अभिव्यक्त या विवक्षित हो सकती है, और तो कब्जा रखने वाले व्यक्ति द्वारा, या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जो उस प्रयोजन यह के लिए अभिव्यक्त या विवक्षित प्राधिकार रखता है, दी जा सकती है।
दृष्टांत
(क) य की सम्मति के बिना कब्जे में से एक वृक्ष बेईमानी से लेने के आश्रय से य की भूमि पर लगे हुए उस वृक्ष को क काट डालता है। यहां, जैसे ही क ने इस प्रकार लेने के लिए उस वृक्ष को पृथक् किया, उसने चोरी की।
(ख) के अपनी जेब में कुलों के लिए ललचाने वाली वस्तु रखता है, और इस प्रकार ब के कुर्ता को अपने पीछे चलने के लिए उत्प्रेरित करता है। यहां, यदि क का आशय य की सम्मति के बिना य के कब्जे में से उस कुते को बेईमानी से लेना हो. तो जैसे ही य के कुले ने क के पौठे पसना आरंभ किया, क ने चोरी की।
(ग) मूल्यवान वस्तु की पेटी ने जाते हुए एक बैल क को मिलता है। वह उस बैल को इसलिए एक खास दिशा में हांकता है कि वे मूल्यवान वस्तुएं बेईमानी से ले सके। जैसे ही उस बैल ने गतिमान होना प्रारम्भ किया, मुल्यवान वस्तुएं घौरी की।
(घ) क, जो य का सेवक है और जिसे य ने अपनी प्लेट की देख-रेख न्यस्त कर दी है. व की सम्मति के बिना प्लेट को लेकर बेईमानी से आग गया। क ने चोरी की।
(2) व यात्रा को जाते समय अपनी प्लेट लौटकर आने तक, क को, जो एक भाण्डागारिक है. न्यस्त कर देता है। के उस प्लेट को एक सुनार के पास ले जाता है और कब्जे में नहीं थी, इसलिए ह चोरी नहीं की है. चाहे आने आधिक स्वयमभंग किया नहीं ली जा सकती थी और
काटता है। यहां वह अंगूठी करते में है. और यदि क उसकी बेईमानी से हटाता है.
(0) क की राजमार्ग पर पहई अंगठी मिला है. किसी व्यक्ति के बाते में नहीं है। कसे उसके से चोरी नहीं की है, भले ही उसने संपति का आप्याधिक दुरिनियोग
अंगडी क देखता है। तलाशी और पला जगने के अब में उस अंगूठी का तुरंत दुर्विनिमोन करने अंगठी ऐसे स्थान पर जड़ से उसका को कभी भी मिला अति अधि इस आशय में जित्य देता है कि छिपाने के उसका बोया जाना बद है। से आम और जबकि हटाते समय चोरी की
जौहरी है, क अपनी बैंक करने के लिए परिदत बयान है। व आभी अपनी बात पर में जाता है जौहरी बा, कोई ऐसा कुण नहीं है, जिसके लिए कि वह जहरी उस घड़ी की प्रतिभूति के रूप में विधिपूर्वका दीनाशके खुले तौर पर उस दुकान में घुसता है. के हाथ में अपनी घड़ी बलपूर्वक ने ओता है.औ भले ही अपराधिक अतिधार और हमला किया हो उसने चोरी नहीं की है, क्योंकि जी छ में उसने किया, बेईमानी को नहीं किया।
धन देव है. और यदि उस की प्रतिभूति कथ उस संपत्ति लेता है उसे बेईमानी से नेता घड़ी को उस कुण की प्रतिभूति कब्जे में से इस आशय से लेता है कि व की उसने में अंचित कर दें तो उसने चोरी की है क्योंकि जो कुछ
(८) और यदि क अपनी के गिरवी रखने के बाद ही के बदले लिए गए समति के बित्ता में नेता है तो उसने कुवरलेला है, चौरी की है, समापि
प्रत्याईलन के लिए परस्कार के के बिलाव के बहते नेता है। यहां बेईमानी से लेता है, इसलिए क में चोरी की।
पुस्तकालय में जाता है और ब पुस्तक केवल पड़ने के लिए और वापस करते की अभिध्यतति के बिता आय में से आता है। यहां यह अधिसम्म है कि कसे यह विचार किया हो कि पुस्तक उपधीग में जाने के लिए उसको यह विचार म.तो क ने चोरी नहीं की है।
(ढ) य की पत्नी से क भिक्षादान मांगता है। वह क को धन, भोजन और कपड़े देती है जिनको क जानता है कि वे उसके पति य के हैं। यहां, यह अधिसंभव्य है कि क का यह विचार हो कि य की पत्नी को भिक्षा देने का प्राधिकार है। यदि क का यह विचार था, तो क ने चौरी नहीं की है।
(ण) क, य की पत्नी का जार है। वह क को एक मूल्यवान संपत्ति देती है जिसके संबंध में क यह जानता है कि वह उसके पति य की है, और वह ऐसी संपत्ति है, जिसको देने का प्राधिकार उसे य से प्राप्त नहीं है। यदि क उस संपत्ति को बेईमानी से लेता है, तो वह चोरी करता है।
(त) य की संपति को अपनी स्वयं की संपत्ति होने का सद्भावपूर्वक विश्वास करते हुए ख के कब्जे में से उस संपत्ति को क ले लेता है। यहां क बेईमानी से नहीं लेता, इसलिए वह चोरी नहीं करता ।
(2) जो कोई चोरी करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा और इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति के दूसरे या पश्चातवर्ती दोषसिदधि के मामले में, उसे ऐसे कठिन कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किंन्तु पांच वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने से दंडित किया जाएगा:
परन्तु चोरी के उन मामलों में जहां चोरी की गई संपत्ति का मूल्य पांच हजार रुपए से कम है और कोई व्यक्ति पहली बार के लिए दोषसिदध किया गया है, चोरी की गई संपत्ति के वापस करने पर या संपत्ति को प्रत्यावर्तित करने पर उसे सामुदायिक सेवा से दंडित किया जाएगा ।