Section 316 of BNS in Hindi: आपराधिक विश्वास का उल्लंघन

आपराधिक विश्वास का उल्लंघन Bharatiya Nyaya Sanhita 2023
316. (1) जो कोई, सम्पत्ति या सम्पत्ति पर कोई भी आधिपत्य किसी प्रकार से अपने को न्यस्त किए जाने पर उस सम्पत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग कर लेता है या उसे अपने उपयोग में संपरिवर्तित कर लेता है या जिस प्रकार ऐसा न्यास निर्वहन किया जाना है, उसको विहित करने वाली विधि के किसी निदेश का, या ऐसे न्यास के निर्वहन के बारे में उसके दवारा की गई किसी अभिव्यक्त या विवक्षित वैध संविदा का अतिक्रमण करके बेईमानी से उस सम्पत्ति का उपयोग या व्ययन करता है, या जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति का ऐसा करना सहन करता है, वह आपराधिक न्यास भंग करता है।
स्पष्टीकरण 1 जो व्यक्ति, किसी स्थापन का नियोजक होते हुए, चाहे वह स्थापन कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1952 की धारा 17 के अधीन छूट प्राप्त है या नहीं, तत्समय प्रवृत किसी विधि द्वारा स्थापित भविष्य-निधि या कुटुंब पेंशन निधि में जमा करने के लिए कर्मचारी-अभिदाय की कटौती कर्मचारी को संदेय मजदूरी में से करता है उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसके दद्वारा इस प्रकार कटौती किए गए अभिदाय की रकम उसे न्यस्त कर दी गई है और यदि वह उक्त निधि में ऐसे अभिदाय का संदाय करने में, उक्त विधि का अतिक्रमण करके व्यतिक्रम करेगा तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने यथापूर्वोक्त विधि के किसी निदेश का अतिक्रमण करके उक्त अभिदाय की रकम का बेईमानी से उपयोग किया है।
स्पष्टीकरण 2-जो व्यक्ति, नियोजक होते हुए, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अधीन स्थापित कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा धारित और शासित कर्मचारी राज्य बीमा निगम निधि में जमा करने के लिए कर्मचारी को संदेय मजदूरी में से कर्मचारी-अभिदाय की कटौती करता है, उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसे अभिदाय की वह रकम न्यस्त कर दी गई है, जिसकी उसने इस प्रकार कटौती की है और यदि वह उक्त निधि में ऐसे अभिदाय के संदाय करने में, उक्त अधिनियम का अतिक्रमण करके, व्यतिक्रम करता है. तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने यथापूर्वोक्त विधि के किसी निदेश का अतिक्रमण करके उक्त अभिदाय की रकम का बेईमानी से उपयोग किया है।
दृष्टांत
(क) क एक मृत व्यक्ति की वसीयत का निष्पादक होते हुए उस विधि की, जो सामान को वसीयत के अनुसार विभाजित करने के लिए उसको निदेश देती है, बेईमानी से अवज्ञा करता है, और उस सामान को अपने उपयोग के लिए विनियोजित कर लेता है। क ने आपराधिक न्यासभंग किया है।
(ख) क भांडागारिक है। य यात्रा को जाते हुए अपना फर्नीचर क के पास उस संविदा के अधीन न्यस्त कर जाता है कि वह भांडागार के कमरे के लिए ठहराई गई राशि के दे दिए जाने पर लौटा दिया जाएगा। क उस माल को बेईमानी से बेच देता है। क ने आपराधिक न्यासभंग किया है।
(ग) क, जो कलकता में निवास करता है, व का, जो दिल्ली में निवास करता है अभिकर्ता है। क और य के बीच यह अभिव्यक्त या विवक्षित संविदा है कि य दवारा क की प्रेषित सब राशियां क दद्वारा य के निदेश के अनुसार विनिहित की जाएंगी। ब, क को इन निदेशों के साथ एक लाख रुपए भेजता है कि उसको कंपनी परों में विनिहित किया जाए। क उन निदेशों की बेईमानी से अवज्ञा करता है और उस धन को अपने कारबार के उपयोग में ले आता है। क ने आपराधिक न्यासभंग किया है।
(घ) किंतु यदि दृष्टांत (ग) में क बेईमानी से नहीं बल्कि सद्भावपूर्वक यह विश्वास करते हुए कि बैंक ऑफ बंगाल में अंश धारण करना य के लिए अधिक फायदाप्रद होगा, य के निदेशों की अवजा करता है, और कंपनी पत्र खरीदने के बजाय य के लिए बैंक ऑफ बंगाल के अंश खरीदता है, तो यद्यपि य को हानि हो लाए और उस हानि के कारण, यह क के विरुद्ध सिविल कार्यवाही करने का हकदार हो, तथापि, यतः क ने, बेईमानी से कार्य नहीं किया है. उसने आपराधिक न्यासभंग नहीं किया है।
(ड) एक राजस्व अधिकारी, क के पास लोक धन न्यस्त किया गया है और वह उस सब धन की, जो उसके पास न्यस्त किया गया है. एक निश्चित खजाने में जमा कर देने के लिए या तो विधि द्वारा निर्देशित है या साकार के साथ अभिव्यक्त था विवक्षित संविदा दद्वारा आबद्ध है। क उस धन को बेईमानी से विनियोजित कर लेता है। क ने आपराधिक न्यासभंग किया है।
(घ) भूमि से या जल से से जाने के लिए य ने क के पास, जो एक वाहक है, संपति न्यस्त की है। क उस संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग कर लेता है। क ने आपराधिक न्यासभंग किया है।
(2) जो कोई आपराधिक न्यासभंग करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या टोनी से, दण्डित किया जाएगा।
(3) जी कोई, वाहक, घाटवाल, या भांडागारिक के रूप में अपने पास संपति न्यस्त किए जाने पर ऐसी संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(4) जो कोई, लिपिक या सेवक होते हुए, या लिपिक या सेवक के रूप में नियोजित होते हुए, और इस नाते किसी प्रकार संपति, या संपति पर कोई औ आधिपत्य अपने में न्यस्त होते हुए. संपति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
(5) जो कोई, लोक सेवक नाते बैंकर, व्यापारी, फिक्टर, दलाल, अटनी या अभिकर्ता के रूप में अपने कारबार के अनुक्रम में किसी प्रकार संपत्ति या संपति पर कोई भी आधिपत्य अपने को न्यस्त होते हुए उस संपत्ति के विषय में आपराधिक न्यासभंग करता है, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।
बिलकुल, आइए धारा 316 (आपराधिक विश्वास का उल्लंघन) को बहुत सरल और आसान शब्दों में समझते हैं:

🔹 क्या है आपराधिक विश्वास का उल्लंघन?
अगर कोई व्यक्ति किसी और की संपत्ति (जैसे पैसे, सामान) की देखभाल करने की जिम्मेदारी लेता है और फिर:
- उसे बेईमानी से अपने काम में इस्तेमाल करता है,
- या उसे गलत तरीके से खर्च करता है,
- या उसे उसके मालिक को लौटाता नहीं है,
तो उसे “आपराधिक विश्वास का उल्लंघन” कहा जाता है।
🔸 उदाहरणों से समझें:
- किसी की वसीयत (will) का जिम्मेदार व्यक्ति अगर संपत्ति अपने पास रख ले — अपराध।
- गोडाउन वाला, किसी का फर्नीचर बेच दे — अपराध।
- एजेंट को पैसे कंपनी के शेयर में लगाने थे, लेकिन उसने खुद के काम में लगा दिए — अपराध।
- अगर एजेंट ने गलती अच्छे इरादे से की (जैसे ज्यादा मुनाफे के लिए) — तब अपराध नहीं है।
- सरकारी अफसर, सरकार का पैसा अपने लिए खर्च करे — अपराध।
- डिलीवरी वाला (वाहक) अगर सामान बेच दे — अपराध।
🔸 खास बात (स्पष्टीकरण):
अगर कोई कंपनी मालिक:
- कर्मचारी की तनख्वाह से PF या बीमा का पैसा काटता है,
- लेकिन उसे निधि (fund) में जमा नहीं करता,
तो यह भी आपराधिक विश्वास का उल्लंघन है।
⚖️ क्या सजा हो सकती है?
कौन करता है | सजा |
---|---|
आम आदमी | 5 साल तक जेल या जुर्माना |
गोडाउन वाला, वाहक | 7 साल तक जेल + जुर्माना |
क्लर्क या नौकर | 7 साल तक जेल + जुर्माना |
सरकारी कर्मचारी, बैंकर, व्यापारी | 10 साल तक जेल या आजीवन जेल + जुर्माना |
✅ सीधी बात में समझें:
- किसी ने आपको भरोसे से कुछ दिया — जैसे पैसा या सामान।
- आपने वो चीज गलत इस्तेमाल की, या वापस नहीं की।
- अगर आपने ऐसा जानबूझकर और बेईमानी से किया — तो कानूनन अपराध है।