Article 103 of Indian Constitution: सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय

Article 103 सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय – Constitution Of India
(1) यदि यह प्रश्न उठता है कि संसद के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद 102 के खंड (1) में वर्णित किसी निरर्हता से ग्रस्त हो गया है या नहीं तो वह प्रश्न राष्ट्रपति को विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।
(2) ऐसे किसी प्रश्न पर विनिश्चय करने के पहले राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की राय लेगा और ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा।]
यहां पांच सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) हिंदी में दिए गए हैं:
1. भारत के संविधान में अनुच्छेद 103 का क्या महत्व है?
उत्तर: अनुच्छेद 103 संसद के सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित सवालों का निवारण करता है। यदि यह सवाल उठता है कि संसद के किसी सदस्य ने अनुच्छेद 102 के खंड (1) के तहत किसी निरर्हता का उल्लंघन किया है, तो राष्ट्रपति इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। इस निर्णय से पहले निर्वाचन आयोग की राय ली जाती है।
2. अनुच्छेद 103 के तहत निरर्हता की प्रक्रिया किस प्रकार काम करती है?
उत्तर: यदि किसी सदस्य के खिलाफ निरर्हता का सवाल उठता है, तो यह प्रश्न राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति चुनाव आयोग से राय लेने के बाद इस पर निर्णय लेते हैं। राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होता है।
3. निर्वाचन आयोग की राय का महत्व क्या है?
उत्तर: निर्वाचन आयोग की राय अनुच्छेद 103 के तहत महत्वपूर्ण होती है। राष्ट्रपति को निर्णय लेने से पहले आयोग से परामर्श करना होता है, और राष्ट्रपति उस राय के आधार पर कार्रवाई करते हैं।
4. क्या राष्ट्रपति का निर्णय विवादित हो सकता है?
उत्तर: नहीं, अनुच्छेद 103 के तहत राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होता है और उस पर कोई और अपील या विवाद नहीं किया जा सकता है।
5. अनुच्छेद 103 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: अनुच्छेद 103 का उद्देश्य संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता (निरर्हता) से संबंधित सवालों को ठीक से निपटाना और निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है, ताकि यह एक निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जा सके।