Article 211 of Indian Constitution विधान-मंडल में चर्चा पर निर्बंधन

Article 211 विधान-मंडल में चर्चा पर निर्बंधन– Constitution Of India.
उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए, आचरण के विषय में राज्य के विधान-मंडल में कोई चर्चा नहीं होगी।
अनुच्छेद 211 के बारे में 5 सामान्य प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं:
1. अनुच्छेद 211 का क्या मतलब है?
अनुच्छेद 211 भारतीय संविधान का एक प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि राज्य विधानमंडल में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायधीश के कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण पर कोई चर्चा नहीं की जा सकती।
2. क्या राज्य विधानमंडल को न्यायधीशों के आचरण पर चर्चा करने की अनुमति है?
नहीं, राज्य विधानमंडल को न्यायधीशों के कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण पर चर्चा करने का अधिकार नहीं है। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा को बनाए रखने के लिए किया गया है।
3. यदि किसी न्यायधीश के आचरण पर सवाल उठते हैं, तो क्या होगा?
यदि किसी न्यायधीश के आचरण पर सवाल उठते हैं, तो संविधान द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया, जैसे महाभियोग या अनुशासनात्मक कार्यवाही, के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
4. क्या इस प्रावधान से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलता है?
हां, इस प्रावधान का उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संरक्षित करना और यह सुनिश्चित करना है कि विधायिका न्यायधीशों के कर्तव्यों में हस्तक्षेप न करे।
5. क्या अनुच्छेद 211 में कोई अपवाद है?
नहीं, अनुच्छेद 211 में कोई अपवाद नहीं है। यह स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य विधानमंडल में न्यायधीशों के कर्तव्यों के निर्वहन पर चर्चा नहीं हो सकती।