Section 111 of BNS in Hindi: संगठित अपराध

संगठित अपराधBharatiya Nyaya Sanhita 2023
111. (1) किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से अकेले या संयुक्त रूप से सामान्य मति से कार्य करते हुए किसी व्यक्ति द्वारा या व्यक्तियों के किसी समूह द्वारा कोई सतत् विधिविरुद्ध क्रियाकलाप किया जाता है, जिसमें व्यपहरण, डकैती, यान चोरी, उद्घापन, भूमि हथियाना, संविदा पर हत्या करना, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, व्यक्तियों, औषधियों, हथियारों या अवैध माल या सेवाओं का दुर्व्यापार, वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए मानव दुर्व्यापार शामिल है, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तात्विक फायदा, जिसके अंतर्गत वित्तीय फायदा भी है, प्राप्त करने के लिए हिंसा का प्रयोग, हिंसा की धमकी, अभित्रास, प्रपीड़न या अन्य विधिविरुद्ध साधनों द्वारा कारित करता है, वह संगठित अपराध गठित करेगा ।
स्पष्टीकरण इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए,-
(i) “संगठित अपराध सिंडिकेट” से दो या अधिक व्यक्तियों का कोई समूह अभिप्रेत है जो एक सिंडिकेट या टोली के रूप में या तो अकेले या सामूहिक रूप से कार्य करते हुए किसी सतत् विधि विरुद्ध क्रियाकलाप में लिप्त है।
(ii) “सतत् विधिविरुद्ध क्रियाकलाप” से विधि द्वारा प्रतिषिद्ध ऐसा क्रियाकलाप अभिप्रेत है जो तीन या अधिक वर्ष के कारावास से दण्डनीय संज्ञेय अपराध है, जो किसी व्यक्ति द्वारा या तो अकेले या संयुक्त रूप से, किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से जिसके संबंध में एक से अधिक आरोप पत्र दस वर्ष की पूर्ववर्ती अवधि के भीतर सक्षम न्यायालय के समक्ष दाखिल किए गए हैं, द्वारा किया गया है और उस न्यायालय ने ऐसे अपराध का संज्ञान कर लिया है और इसमें आर्थिक अपराध भी शामिल हैं;
(iii) “आर्थिक अपराध” में आपराधिक न्यासभंग, कूटरचना, करेंसी नोट, बैंक नोट और सरकारी स्टापों का कूटकरण, हवाला संव्यवहार, बड़े पैमाने पर विपणन कपट या किसी प्ररूप में धनीय फायदा प्राप्त करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों के साथ कपट करने के लिए कोई स्कीम चलाना या किसी बैंक या वित्तीय संस्था या किसी अन्य संस्था या संगठन को कपट करने की दृष्टि से किसी रीति में, कोई कृत्य करना शामिल है ।
(2) जो कोई, संगठित अपराध कारित करेगा, –
(क) यदि ऐसे अपराध के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय होगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो दस लाख रुपए से कम का नहीं होगा; (ख) किसी अन्य मामले में, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(3) जो कोई, संगठित अपराध का दुष्प्रेरण, प्रयत्न, षडयंत्र करता है या यह जानते हुए कारित किया जाना सुकर बनाता है या संगठित अपराध के किसी प्रारंभिक कार्य में अन्यथा नियोजित होता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(4) कोई व्यक्ति, जो संगठित अपराध सिंडिकेट का सदस्य है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(5) जो कोई, किसी व्यक्ति को, जिसने संगठित अपराध कारित किया है, साशयपूर्वक संश्रय देता है या छिपाता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो तीन वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा, और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा :
परंतु यह उपधारा उस दशा में लागू नहीं होगी, जिसमें संश्रय या छिपाना अपराधी के पति या पत्नी द्वारा किया जाता है । (ख) किसी अन्य मामले में, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(3) जो कोई, संगठित अपराध का दुष्प्रेरण, प्रयत्न, षडयंत्र करता है या यह जानते हुए कारित किया जाना सुकर बनाता है या संगठित अपराध के किसी प्रारंभिक कार्य में अन्यथा नियोजित होता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(4) कोई व्यक्ति, जो संगठित अपराध सिंडिकेट का सदस्य है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो पांच वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने के लिए भी दायी होगा जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(5) जो कोई, किसी व्यक्ति को, जिसने संगठित अपराध कारित किया है, साशयपूर्वक संश्रय देता है या छिपाता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो तीन वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु आजीवन कारावास तक हो सकेगा, और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो पांच लाख रुपए से कम का नहीं होगा :
परंतु यह उपधारा उस दशा में लागू नहीं होगी, जिसमें संश्रय या छिपाना अपराधी के पति या पत्नी द्वारा किया जाता है । कम का नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो दो लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।
(7) यदि संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य की ओर से कोई व्यक्ति या किसी भी समय ऐसी किसी चल या अचल सम्पत्ति को कब्जे में रखता है, जिसका वह समाधानप्रद लेखा नहीं दे सकता है, वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो तीन वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु जो दस वर्ष तक हो सकेगा और ऐसे जुर्माने का भी दायी होगा, जो एक लाख रुपए से कम का नहीं होगा ।