Section 127 of BNS in Hindi

Section 127 of BNS in Hindi

127. (1) जो कोई, किसी व्यक्ति का इस प्रकार सदोष अवरोध करता है कि उस व्यक्ति को निश्चित परिसीमा से परे जाने से रोक दे, वह उस व्यक्ति का “सदोष परिरोध” करता है, यह कहा जाता है।
दृष्टांत
(क) य को दीवार से घिरे हुए स्थान में प्रवेश कराकर क उसमें ताला लगा देता है। इस प्रकार य दीवार की परिसीमा से परे किसी भी दिशा में नहीं जा सकता। क ने य का सदोष परिरोध किया है।
(ख) क एक भवन के बाहर जाने के द्वारों पर बन्दूकधारी मनुष्यों को बैठा देता है और य से कह देता है कि यदि य भवन के बाहर जाने का प्रयत्न करेगा तो वे य को गोली मार देंगे। कनेय का सदोष परिरोध किया है।
(2) जो कोई, किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करता है, वह दोनों में से, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
(3) जो कोई, किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध तीन या अधिक दिनों के लिए करता है, वह दोनों में से, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
(4) जो कोई, किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध दस या अधिक दिनों के लिए करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, का भी दायी होगा । (5) जो कोई, यह जानते हुए किसी व्यक्ति को सदोष परिरोध में रखता है कि उस व्यक्ति को छोड़ने के लिए रिट सम्यक् रूप से निकल चुकी है, वह किसी अवधि के उस कारावास के अतिरिक्त, जिससे कि वह इस अध्याय की किसी अन्य धारा के अधीन दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।
(6) जो कोई, किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रकार करता है जिससे यह आशय प्रतीत होता है कि ऐसे परिरुद्ध व्यक्ति से हितबद्ध किसी व्यक्ति को या किसी लोक सेवक को ऐसे व्यक्ति के परिरोध की जानकारी न होने पाए या इसमें इसके पूर्व वर्णित किसी ऐसे व्यक्ति या लोक सेवक को, ऐसे परिरोध के स्थान की जानकारी न होने पाए या उसका पता वह न चला पाए, वह उस दण्ड के अतिरिक्त, जिसके लिए वह ऐसे सदोष परिरोध के लिए दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने का भी दायी होगा ।
(7) जो कोई, किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करता है कि उस परिरुद्ध व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्घापित की जाए, या उस परिरुद्ध व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को, कोई ऐसी अवैध बात करने के लिए, या कोई ऐसी जानकारी देने के लिए जिससे अपराध का किया जाना सुकर हो जाए, मजबूर किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।
(8) जो कोई, किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करता है कि उस परिरुद्ध व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध या कदाचार का पता चल सके, उ‌द्घापित की जाए, या वह परिरुद्ध व्यक्ति या उससे हितबद्ध कोई व्यक्ति मजबूर किया जाए कि वह किसी सम्पति या मूल्यवान प्रतिभूति को वापस करे या वापस करवाए या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे या कोई ऐसी जानकारी दे जिससे किसी सम्पत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को वापस कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।