Section 137 of BNS in Hindi

Section 137 of BNS in Hindi

137. (1) व्यपहरण दो किस्म का होता है भारत में से व्यपहरण और विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण
(क) जो कोई, किसी व्यक्ति का, उस व्यक्ति की, या उस व्यक्ति की ओर से सम्मति देने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत किसी व्यक्ति की सम्मति के बिना, भारत की सीमाओं से परे पहुंचा देता है, वह भारत में से उस व्यक्ति का व्यपहरण करता है, यह कहा जाता है।

(ख) जो कोई, किसी शिशु को या किसी विकृतचित व्यक्ति को, ऐसे शिशु या विकृतचित व्यक्ति के विधिपूर्ण संरक्षकता में से ऐसे संरक्षक की सम्मति के बिना ले जाता है या बहका जाता है. वह ऐसे शिशु या ऐसे व्यक्ति का विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण करता है, यह कहा जाता है।


स्पष्टीकरण – इस खंड में ‘विधिपूर्ण सरंक्षक शब्दों के अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति आता है, जिस पर ऐसे शिशु या अन्य व्यक्ति की देख-रेख या अभिरक्षा का भार विधिपूर्वक न्यस्त किया गया है।


अपवाद – इस खंड का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति के कार्य पर नहीं है, जिसे स‌द्भावपूर्वक यह विश्वास है कि वह किसी अधर्मज शिशु का पिता है, या जिसे स‌द्भावपूर्वक यह विश्वास है कि वह ऐसे शिशु की विधिपूर्ण अभिरक्षा का हकदार है, जब तक कि ऐसा कार्य अनैतिक या विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए न किया जाए ।


(2) जो कोई, भारत में से या विधिपूर्ण संरक्षकता में से किसी व्यक्ति का व्यपहरण करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।