Section 229 of BNS in Hindi

Section 229 of BNS in Hindi

229. (1) जो कोई, साशय किसी न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में मिथ्या साक्ष्य देता है या किसी न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से मिथ्या साक्ष्य गढ़ता है. वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा, और दस हजार रुपए तक के जुर्माने के लिए भी दायी होगा:
(2) जी कोई, उपधारा (1) में निर्दिष्ट से भिन्न किसी अन्य मामले में साशय मिथ्या साक्ष्य देता है या गढ़ता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा, और पांच हजार रुपए तक के जुर्माने का भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण 1 सेना न्यायालय के समक्ष विधारण न्यायिक कार्यवाही है।
स्पष्टीकरण 2 न्यायालय के समक्ष कार्यवाही प्रारम्भ होने के पूर्व, जो विधि द्वारा निर्दिष्ट अन्वेषण होता है, वह न्यायिक कार्यवाही का एक पक्रम है, चाहे वह अन्वेषण किसी न्यायालय के सामने न भी हो।
दृष्टांत
यह अभिनिश्चय करने के प्रयोजन से कि क्या य को विधारण के लिए सुपर्द किया जाना चाहिए, मजिस्ट्रेट के समक्ष जांच में शपथ पर कथन करता है, जिसका वह मिथ्या होना जानता है। यह जांच न्यायिक कार्यवाही का एक प्रक्रम है, इसलिए क ने मिथ्या साक्ष्य दिया है।
स्पष्टीकरण 3 न्यायालय ‌द्वारा विधि के अनुसार निर्दिष्ट और न्यायालय के प्राधिकार के अधीन संचालित अन्वेषण न्यायिक कार्यवाही का एक प्रक्रम है. चाहे वह अन्वेषण किसी न्यायालय के सामने न भी हो।
इष्टांत
संबंधित स्थान पर जा कर भूमि की सीमाओं को अभिनिश्चित करने के लिए न्यायालय द्वारा प्रतिनियुक्त अधिकारी के समक्ष जांच में क शपथ पर कथन करला है जिसका मिथ्या होना वह जानता है। यह जांच न्यायिक कार्यवाही का एक प्रक्रम है. इसलिए क ने मिथ्या साक्ष्य दिया है।