Article 225 of Indian Constitution विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता
Article 225 विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता– Constitution Of India.
इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए और इस संविधान द्वारा समुचित विधान-मंडल को प्रदत्त शक्तियों के आधार पर उस विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी विद्यमान उच्च न्यायालय की अधिकारिता और उसमें प्रशासित विधि तथा उस न्यायालय में न्याय प्रशासन के संबंध में उसके न्यायाधीशों की अपनी-अपनी शक्तियाँ, जिनके अंतर्गत न्यायालय के नियम बनाने की शक्ति तथा उस न्यायालय और उसके सदस्यों की बैठकों का चाहे वे अकेले बैठें या खंड न्यायालयों में बैठें विनियमन करने की शक्ति है, वहीं होंगी जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले थीं।
[परंतु राजस्व संबंधी अथवा उसका संग्रहण करने में आदिष्ट या किए गए किसी कार्य संबंधी विषय की बाबत उच्च न्यायालयों में से किसी की आरंभिक अधिकारिता का प्रयोग, इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले, जिस किसी निर्बंधन के अधीन था, वह निर्बंधन ऐसी अधिकारिता के प्रयोग को ऐसे प्रारंभ के पश्चात लागू नहीं होगा।]*
* संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 29 द्वारा (20-6-1979 से) अंत:स्थापित।संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 37 द्वारा (1-2-1977 से) मूल परंतुक का लोप किया गया था।