Article 122 of Indian Constitution: न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना

Article 122 न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जाँच न किया जाना – Constitution Of India
122 (1) संसद की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।
(2) संसद का कोई अधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन संसद में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियाँ निहित हैं, उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय के अधीन नहीं होगा।
यहां तीन FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) दिए गए हैं, जो इस संविधानिक प्रावधान से संबंधित हो सकते हैं:
1. संसद की कार्यवाही की विधिमान्यता को किन कारणों से प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है?
संसद की कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित (सार्वजनिक रूप से घोषित) अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है। यानी, यदि किसी कार्यवाही में कोई तकनीकी या प्रक्रियात्मक भूल होती है, तो उसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
2. संसद के किसी अधिकारी या सदस्य के कार्यों को न्यायालय में क्यों नहीं चुनौती दी जा सकती?
संविधान के तहत, संसद के अधिकारी या सदस्य, जो संसद की प्रक्रिया या कार्य संचालन से संबंधित शक्तियाँ रखते हैं, उनके कार्यों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। यह सुरक्षा उन्हें अपनी कार्यक्षमता के निर्वहन के दौरान स्वतंत्रता देती है, ताकि वे अपनी शक्तियों का सही तरीके से प्रयोग कर सकें।
3. क्या कोई विशेष उदाहरण है, जब संसद की कार्यवाही को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती?
यदि कोई सांसद या संसद का अधिकारी संसद के अंदर किसी प्रस्ताव पर बहस कर रहा है या किसी प्रक्रिया को लागू कर रहा है, तो उस कार्यवाही को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। उदाहरण स्वरूप, यदि किसी सदस्य को किसी विशेष प्रस्ताव पर बोलने का अधिकार नहीं दिया जाता या उसे कार्यवाही में शामिल नहीं किया जाता, तो उस प्रक्रिया को किसी अदालत में नहीं चुनौती दी जा सकती है।